"जन्म कब लेना है और मरना कब है,ये तो हम तय नहीं कर सकते, लेकिन कैसा जीना है ये हम तय करते है". फिल्म की ये डायलॉग जिंदगी को जीने की एक अलग उम्मीद जगाता है।लेकिन इन सब के बीच, दुख इस बात का है, की इसे ऑनस्क्रीन बोलने वाले सुशांत सिंह राजपूत अब हमारे बीच नही है। फिल्म में सुशांत के अपॉजिट संजना सांघी कास्ट की गई है जो बतौर लीड एक्ट्रेस अपना डेब्यू कर रही है। ऑन्स्क्रीन दोनों की कैमिस्ट्री बेहद खास नज़र आ रही है।
आइए जानते है फिल्म की वो खास बातें जिसने दर्शकों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल रही :
• फ़िल्म एक लव स्टोरी है। इससे पहले भी आप ऐसी लव स्टोरी बॉलीवुड फ़िल्मों में देख चुके है। इसके बावज़ूद भी आप इसे देखकर बोर नहीं होंगे। ओटीटी पर रिलीज़ होने की वजह से इंटरवल में भी ब्रेक लेने की जरूरत महसूस नही होती है। कहानी अपनी पूरी रफ़्तार से चलती है।
•फ़िल्म का संगीत भी काफी मधुर है। ए आर रहमान का जादू आपको इस फ़िल्म में देखने को मिलेगा। वही बैकग्राउंड में बजने वाला अधूरा गाना पूरा फील देता नज़र आयेगा। हालाँकि अंत तक जाते-जाते आप फ़िल्म में इतना घूस जायेंगे की लिरिकस् पर ध्यान कम ही जायेगा। फ़िल्म खत्म होने के बाद सिर्फ मुस्कान और म्युज़िक आपके साथ रह जायेगी। फ़िल्म में लोकेशन, लाइटिंग और कैमरा का इस्तेमाल भी क़ाफ़ी सही किया गया है।
• अब बात फ़िल्म के कलाकारों की :
सुशांत सिंह राजपूत ने जाते-जाते अपनी अदाकारी से दिल जीतने वाला काम किया है। वही संजना सांघी के लिए बतौर लीड एक्ट्रेस ये पहली फ़िल्म है। उन्होंने काफी सिम्पल और सादगी से अपना किरदार निभाया है। पाताल लोक में अपनी एक्टिंग का जादू बिखेर चुकी स्वस्तिका मुखर्जी ने किज़ि की माँ का किरदार निभाया है। उनकी एक्टिंग काफी दमदार है। इसके अलावा शास्वत चटर्जी और साहिल वेद की स्क्रीन प्रेसेंस आकर्षित करने वाली है। वही एक छोटे से गेस्ट appearance में सैफ अली ख़ान भी नज़र आयेंगे।
मुकेश छाबरा के कास्टिंग का अनुभव फ़िल्म में बखूबी नज़र आयेगा। ख़ासकर किज़ि के लिए संजना और किज़ि की माँ का किरदार स्वस्तिका बिल्कुल सटीक लगता है।
और आखिरी बात जो आपको गाँठ बांध कर रखनी चाहिए. वो ये..
की अगर आप सुशांत के फैन है तो बहुत रो चुके उनको याद करके, ये फ़िल्म आपको सुशांत के लिए हंसना सिखायेगी। सुशांत को देखकर आपका मन ख़ुश हो जायेगा। फ़िल्म को देखकर पता चलेगा की हमने सुशांत को तब खोया जब वो अपने बेस्ट पर थे।• ये फ़िल्म असल मायने में सुशांत के लिए सच्ची श्रधांजलि है इसलिए फ़िल्म को देखने में देरी ना करे।
✍️पीयूष प्रियदर्शी
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