Bihar Flood : बिहार कभी स्थिर नहीं रहा कोई न कोई आपदा आती है और पूरे बिहार को झकझोर जाती है. आपदा प्रबंधन का स्तर इतना निम्न है कि हर वर्ष बड़े स्तर पर नुकसान होना तय रहता है. बाढ़ हर साल आता है और बिहार को बर्बाद कर जाता है. 15 वर्ष से नीतीश कुमार की सरकार है. हर वर्ष एक तस्वीर आप देखते होंगे आसमान में उड़ने वाला हेलीकॉप्टर के खिड़की से मुख्यमंत्री को झांकते हुए. क्या ऊपर से जलमग्न बिहार उनको नहीं दिखता ? या महज वह एक टूर होता है.
74 लाख लोग पीड़ित, 5 लाख बेघर, और 23 मौत
ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि इस वर्ष भी बाढ़ ने अपना तांडव दिखा दिया है. और हमेशा की तरह बिहार बेबस और लाचार है. आंकड़ों पर गौर कीजिए, गंगा सहित 9 नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जिस कारण मुख्य रूप से राज्य का 16 जिला पूर्णतः प्रभावित है. सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, सिवान, मधुबनी, मधेपुरा, एवं सहरसा के कुल 74 लाख के करीब लोग बाढ़ पीड़ित है. 5 लाख लोग अब तक बेघर हो चुके है और 23 मौते हो चुकी है.
बड़ा सवाल :
तो फिर विकसित बिहार में इतने बड़े संख्या में लोग पीड़ित है और 5 लाख लोग बेघर हो गए है. आमजन का बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है. लोगों की मौत हुई है. तो सवाल यह उठता है कि फिर बदला क्या ? किस बदलाव की बात हो रही है ? कब तक ऐसे आकंड़े गिनता रहेगा बिहार ? क्या बाढ़ का समाधान नहीं है ?
✍️ सिंह आदर्श
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