प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद(Prime minister economic advisory council) के अधीन गठित मधुमक्खी पालन विकास समिति(Beekeeping development committee - BDC) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 200 मिलियन मधुमक्खी आवास के क्षेत्र की क्षमता है। अभी भारत में 3.4 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र हैं।
इसी साल कृषि ,ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने ब्यान में कहा था कि भारत विश्व में शहद उत्पादन में 5वें स्थान प्राप्त किया है। 2005 से 2006 की तुलना में 242 प्रतिशत की वृद्धि भारत मे शहद उत्पादन में हुआ है। वहीं निर्यात में 265 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
अगर बिहार की बात करें तो बिहार के शहद को अब दुनिया के लोगों तक पहुँचाने की तैयारी चल रही है। बिहार के शहद को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए सहकारिता विभाग सहकारिता समितियों की मदद से मार्केटिंग, ब्रांडिंग, प्रोसेसिंग किया जाएगा। मार्केटिंग के लिए प्रखंड स्तर और जिला स्तर पर सहायता समूह का गठन किया जाएगा।
इसमें मधुमक्खी पालक और मधुमक्खी पालन में प्रेम रखने वाले लोगों को सदस्य बनाया जाएगा। मधुमक्खी पालन करने वाले लोगों को मार्केटिंग, प्रोसेसिंग जैसे तमाम चीजो की ट्रेनिंग दी जाएगी।
इन जिलों में स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाएगा।
नालंदा ,समस्तीपुर, पूर्णिया, भागलपुर,मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, नवादा और शिवहर में स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाएगा।
सबसे ज्यादा लीची से उत्पादन
बिहार में सबसे ज्यादा लीची से शहद का उत्पादन किया जाता है। इसके अलावा तुलसी, सहजन, जामुन, सरसो से शहद का उत्पादन होता है। बिहार में 20,000 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है। मगर शहद उत्पादन करने वालों को सही रकम नहीं मिल पाती उनसे व्यपारी 70 से 80 रुपए में शहद खरीद कर 400 या इससे अधिक दामों में बेचते हैं। यहाँ का ज्यादा तर शहद दूसरे राज्यों के व्यापारी लेकर जाते हैं।
✍🏻 सूर्याकांत शर्मा
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