बीते बुधवार को रिलीज हुई फ़िल्म गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल युद्ध में जाने वाली भारतीये वायुसेना की पहली महिला पायलट पे आधारित है।
ये कहानी ऐसे लड़की की है। जो बचपन से पायलट बनने का सपना देखती है। लेकिन उस समय लड़कियों को समाज में उतनी छूट नहीं थी। उस समय का समाज पुरुषवादी विचार के थे। लेकिन गुँजन सक्सेना के पिता ने उस समाज को करारा जवाब दिया। वह अपनी बेटी को पायलट बनने के लिए उत्साहित करते हैं और उसका हौसला बढ़ाते हैं। इस फिल्म में गुँजन सक्सेना के एयरफोर्स में मुश्किलों को भी दिखाया गया है। कि उन्हें किस तरह लड़की होने का दर्द झेलना पड़ा था। इनकी तैनाती उधमपुर , जम्मू और कश्मीर में था जहाँ पे वो अकेली महिला कैडेट थी।
फिल्म रिव्यु
इस फ़िल्म में उनकी कहानी को काफी खूबसूरती से दिखाया गया है। अगर अभिनय की बात करें तो पंकज त्रिपाठी का अभिनय एक पिता के रूप में जानदार रहा है। अभिनय में जानवी कपूर थोड़ी अनुभवहीन नजर आईं हैं। कहीं-कहीं पे सीन की डिमांड जिस तरह की एक्सप्रेशन की थी। उसमें थोड़ा असफल दिखतीं हैं। अंगद बेदी का अभिनय उनके किरदार के हिसाब से सही है। मानव विज जिन्हें कुछ खास बड़ा रोल नहीं मिला है। लेकिन जितने समय उन्होंने रोल किया वो अपने किरदार के साथ न्याय करते नजर आए हैं। अगर बात की जाए डायरेक्शन की तो शरण शर्मा ने 2 घण्टे कि मूवी में उनकी डायरेक्शन की छाप नजर आती है। पटकथा मजबूत है निखिल मल्होत्रा ने अपने काम को दिखाया है। लेकिन गुँजन सक्सेना के कुछ खास पलों को फिल्म में मेंशन नहीं किया गया है जैसे उन्हें सौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था इस पल का जिक्र फिल्म में नहीं होना दुखद है। वैसे भी ये रियल स्टोरी है जो अपने से जोड़ कर रखती है। गुँजन सक्सेना की बहादुरी और संघर्ष को जानने के लिए इसे देख सकते हैं। ये डिजिटल प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पे बीते बुधवार को रिलीज हो चुकी है।
✍️ सूर्याकांत शर्मा
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