गायकी के रसराज कहे जाने वाले मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज जी का कार्डिएक अरेस्ट बीमारी से अमेरिका के न्यूजर्सी में निधन हो गया। जो पूरे संगीत जगत के लिए अपूर्ण छति है। वह 90 वर्ष के थे।
उनका जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार जिला में हुआ था। वो ऐसे परिवार से थे जो 4 पीढ़ियों से शास्त्रीये संगीत को आगे ले जा रहे थे। उन्होंने ने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह शुरुआत में तबला वादक थे। फिर कुमार गंधर्व के डांट के बाद उन्होंने ने तबला छोड़कर गायकी में लग गए। वह मेवाती घराने से थे। उनके पिता पंडित मोतीराम भी उस घराने के संगीतज्ञ थे। जब पंडित जसराज 3 से 4 साल के थे तभी उनके पिता पंडित मोतीराम का निधन हो गया था।
मधुराष्टकम् से मिली घर-घर पहचान
श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित बगवान श्री कृष्ण की मधुरमय स्तुति मधुराष्टकम् जिसे जसराज जी ने गाया था। उसके बाद वो सबके मन में बस चुके थे। मधुराष्टकम् उनका प्रिय था वह हर कार्यक्रम में इसे गाते थे।
IAU ने बृहस्पति और मंगल के बीच पाए जाने ग्रह को पंडितजसराज नाम दिया।
पिछले साल इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने अंतरिक्ष में बृहस्पति और मंगल के बीच पाए जाने वाले ग्रह को 'पंडितजसराज' नाम दिया था। यह एक छोटा ग्रह 2006 वीपी 32(नम्बर-300128) है जिसकी खोज 11 नवंबर 2006 को हुई थी। वह पहले भारतीये संगीतज्ञ हैं। जिन्होंने अंतरिक्ष में अपनी जगह बनाई।
सातों महाद्वीपों में प्रस्तुति देने वाले पहले भारतीये
8 जनवरी 2012 को उन्होंने 83 साल की उम्र में अंटार्कटिका के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी प्रस्तुति दी। और इसी के साथ वो सातों महाद्वीपों पे प्रस्तुति देने वाले पहले भारतीये बने ।
जसरंगी जुगलबंदी का निर्माण किया
उन्होंने एक ऐसी जुगलबंदी तैयार की जिसमें पुरूष और महिला गायक विभिन्न रागों में गा सकते हैं इस जुगलबंदी को जसरंगी नाम दिया गया।
अवार्ड
पद्मविभूषण,पद्मश्री,पद्मभूषण,स्वाथी संगीता पुरस्कारम और संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया।
✍️ सूर्याकांत शर्मा
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