भारत ने सोमवार को हैपेरसोनिक प्रदर्शक वाहन{HSTDV}(Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) का ओडिशा के बालासोर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम रेंज में सफलतापूर्वक परीक्षण किया। DRDO( Defence Research and Development Organization) द्वारा हैपेरसोनिक तकनीक का सफल परीक्षण किया गया।
इसी के साथ भारत चौथा ऐसा देश बन गया जिसने खुद की हैपरसोनिक तकनीक तैयार किया। इससे पहले अमेरिका,रूस और चीन इसे तैयार कर चुके हैं। यह एक कठिन टेक्नोलॉजी मानी जाती है क्योंकि इसकी गति इतनी तेज होती है कि इंजन का गर्म होकर जलने की आशंका रहती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा 'मैं प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करने और यह उपलब्धि हासिल करने के लिए डीआरडीओ को बधाई देता हूँ। मैंने प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों से बात की भारत को उन पे गर्व है।'
क्षमता :-
● आवाज की गति से लगभग 6 गुना तेज गति। आवाज की गति 343 मीटर पर सेकंड होती है।
● जबकि हैपेरसोनिक मिसाइल की गति इतनी होती है कि वो 1 सेकंड में 2 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है।
● ये दुश्मन के मिसाइलों को आसानी से ट्रैक करके रास्ते में ही तबाह कर सकती है।
● इसकी गति इतनी तेज है कि ये 8 से 9 मिनट में 1000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। इसे कोई नहीं भेद सकता।
● हैपेरसोनिक मिसाइल दो हजार किलोग्राम वजनी परमाणु हथियार ले जा सकती है।
● यह 6 हजार किलोमीटर की दूर लक्ष्य को आसानी से नष्ट कर सकती है।
● यह मिसाइल 2000 डिग्री तक के तापमान को झेल सकती है।
यह भरतीय रक्षा तकनीक में बहुत बड़ी उपलब्धि है। इससे भविष्य में बहुत तेज रफ्तार से चलने वाली मिसाइलें बनायी जाएंगी।
✍🏻सूर्याकांत शर्मा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपना सुझाव यहाँ लिखे