पटना जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दक्षिण तथा NH-98 से 4 किलोमीटर पूरब की दिशा में इतिहासिक धरोहरों और खजानों को समेटे एक गाँव है भरतपुरा. इसी गांव में एक ऊंचे टीले पर स्थित है गोपाल नारायण सिंह लाइब्रेरी.
अकबर के शाषन काल के दौरान महाराष्ट्र से आ कर बसे राजा कंचन सिंह के वंशज भरत सिंह के नाम पर बसा है भरतपुरा गाँव.इसी राजवंश के गोपाल नारायण सिंह ने इस पुस्तकालय की स्थापना 1912 में तत्कालीन कलक्टर प्रेंटिस के हाथों करवाई थी. बनारस महाराज के दामाद थे गोपाल नारायण सिंह.
यह जगह अपने आप मे अद्धभुत है. सिर्फ यहाँ देखी जा सकती है सूर्य की अखण्डित मूर्ति, हाथी के दांत से बनी शाहजहाँ की छड़ी. इस लाइब्रेरी में मौजूद है 8000 पांडुलिपीया 400 प्राचीन मूर्तियां, 1000 इतिहासिक चित्र और 4000 से अधिक प्राचीन सिक्के.
गोपाल नारायण लाईब्रेरी पूरे विश्व मे एकमात्र ऐसी लाइब्रेरी है जहाँ फिरदौसी के सचित्र शाहेनामा की इकलौती प्रति मौजूद है.शाहेनामा में ईरान की सभ्यता संस्कृति को नीलम और सोने द्वारा बनाए गए चित्रो के माध्यम से जाना जा सकता है.
अकबर के दरबार मे मशहूर चित्रकार बसावन साधु की चित्रकारी यहां की एक अतिमहत्वपूर्ण संग्रह है. लाइब्रेरी के वर्तमान सचिव ध्रुपद नारायण बताते है कि यहाँ जितने महत्वपूर्ण और इतिहासिक खजाने उपलब्ध है. वह अन्य किसी लाइब्रेरी कम म्यूजियम में नहीं है.
✍ आनंद की रिपोर्ट
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