बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित कावर झील को रामसर साइट का दर्जा मिल गया है। कावर झील रामसर साइट का दर्जा पाने वाला देश का 39वां पक्षी अभयारण्य बन गया है। अब यह अंतराष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड हो गया है। इसकी जानकारी गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने अपने ट्विटर पर ट्वीट करके दी। उन्होंने कहा "यह सूचित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है की बिहार को अपना पहला रामसर साइट मिल गया है बेगूसराय में काबरताल अंतराष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड बन गया है।"
2019 में केंद्र सरकार ने देश के सौ झीलों को जलीय इको सिस्टम संरक्षण केंद्रीय योजना के तहत शामिल किया गया था। जिसमें एक कावर झील भी था। नवम्बर 2019 में केंद्रीय पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 32 लाख 76 हजार 6 सौ रुपये जारी किए थे। 1987 में इस झील को बिहार ने पक्षी विहार का दर्जा दिया था।
कई देशों के पक्षी यहाँ लम्बा सफर तय कर पहुँचते हैं
जैसे ही सर्दियों का मौसम शुरू होता है। यहाँ प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगना आरंभ हो जाता है। यहाँ साइबेरिया, मंगोलिया, अलास्का,रूस जैसे देशों से पक्षी लंबा सफर तय कर यहाँ पहुँचते है। इनका आगमन नवंबर में शुरू हो जाता है। फिर तीन महीने के बाद मार्च में ये पक्षी अपने देश वापस लौट जाते हैं। यहाँ सरायर,डुमरी, अधंग्गी,दिधौंच,कोईरा समेत लगभग 57 प्रजाति कर पक्षी आते हैं। 25 जुलाई 2019 को शून्य काल के समय इसके उदासीनता पे सवाल उठाए थे। इसके विकास को लेकर आवाज उठाई थी।
रामसर साइट क्या है?
विश्व के अलग-अलग झीलों के संरक्षण के लिए 1971 में ईरान के रामसर में अंतराष्ट्रीय संस्था का गठन किया गया था। लगभग दस साल बाद1981 में भारत भी इसका सदस्य बना। 2002 से पहले तक कावर झील भी इसमें शामिल था। उस समय इसमें 170 नस्ल के पक्षी जिसमें 58 प्रवासी पक्षी थे। 41 तरह की मछलियां,140 किस्म के पेड़-पौधे और कई तरह के कीड़े- मकौड़े ऑर्थोपॉड्स,फाइटो प्लैनकोट्स और मुलस आदि तरह के कीड़े-मकोड़े भी रहा करते थे।
✍️सूर्याकांत शर्मा
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