Delhi : भारतीय अर्थव्यवस्था : अर्थव्यवस्था (economy) उत्पादन, वितरण एवं खपत की एक सामाजिक व्यवस्था है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा और विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास
आर्थिक इतिहासकार एंगस मेडिसन के अनुसार पहली सदी से लेकर दसवी सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद(GDP) विश्व की कुल जीडीपी का 32.9% था। सन 1000 में यह28.9 था और सन 1700 में 24.4 था।
अर्थव्यवस्था में बदलाव
1991 में भारत को भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा जिसके फलस्वरूप भारत को अपना सोना तक गिरवी रखना पड़ा। उसके बाद नरसिम्हा राव की सरकार ने वितमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देशन में आर्थिक सुधारों की लंबी कवायद शुरू की गई जिसके बाद धीरे धीरे भारत विदेशी पूंजी निवेश का आकर्षण बना और अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना | 1991 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता का दौर आरम्भ हुआ । इसके बाद भारत ने प्रतिवर्ष लगभग 8%से अधिक की वृद्धि दर्ज की।
2005-06 और 2007-08 के बीच लगातार तीन वर्षों तक 9 प्रतिशत से अधिक की अभूतपूर्व। विकास दर प्राप्त की ।कुल मिलाकर 2004-05 से 2011-12 के दौरान भारत की वार्षिक विकास दर औसतन 8.3 प्रतिशत रही।किन्तु वैश्विक मंदी की मार के चलते 2012-13 और 2013-14 में 4.6 प्रतिशत की औसत पर पहुच गयी। अप्रैल 2014 में जारी रिपोट में वर्ष 2011 की विश्लेषण में विश्व बैंक ने क्रयशक्ति समानता( पुरचेसिंग पावर पैरिटी) के आधार पर भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था घोसित किया।बैंक के इंटरनेशनल कंपेरिजन प्रोग्राम(आईसीपी) के 2011 राउंड में अमेरिका और चीन के बाद भारत को स्थान दिया गया। 2005 में जो 10वे स्थान पर थी।
लॉकडाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
2020 में महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन से भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा। सेन्टर फ़ॉर मोनेटरिंग इंडियन इकॉनमी(CMIC) के अनुसार भारत मे बेरोज़गारी दर में बहुत तेज़ी के साथ बढ़ोतरी हुई जिसमें बिहार की बेरोज़गारी दर सारे अन्य राज्यो से अत्यधिक है। कंफेडरक़्शन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री(CII) की रिपोर्ट देखे तो 30 करोड़ लोगों की नौकरी जा सकती है ,जो सबसे बड़ा इंडिया का बेरोजगारी होगा । आईएलओ ने भी कुछ ऐसा ही अनुमान बताया है।
भारत की जनसख्या 137cr. है जिसमे 16 साल से ज़्यादा लोग 100cr. लोग रहते है और उस 100 cr. में 30 करोड़ लोगों की नौकरी गयी तो 30% देश बेरोज़गार हो गया तो देश की क्या हालत होगी? ग्लोबल वेज रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वेतन दर(wage rate) 22.6 प्रतिशत तक गिर गया है। क्रयशक्ति समानता (परचेसिंग पावर पैरिटी) में भी भारत बहुत पीछे है।वैश्विक एजेंसियों की तरफ से भारत की अर्थव्यवस्था में 2020-21 में 14.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया। वही फिच ने 10.5 प्रतिशत और इंडिया रेटिंग एजेंसी ने वर्ष के दौरान जीडीपी का आकार 11.8 प्रतिशत घटने का अनुमान व्यक्त किया है।
✍️दीक्षा सिंह
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