Madhubani : इसबार की होली एक परिवार को हमेशा के लिए बेरंग कर गया. पूरे परिवार के जीवन में अब बस दुख, दर्द, चीत्कार का बदसूरत रंग रह गया है. मधुबनी जिला का मोहम्मदपुर गाँव जो की बेनीपट्टी थाने अंतर्गत आता है. वहाँ होली के दिन दोपहर लगभग 1:00 बजे के करीब 30 से 35 संख्या में हथियारों से लैश अपराधी आए और एक ही परिवार को गोलियों से भून डाला. साथ ही धारधार हथियार से हमला भी किया. इस घटना में 4 लोग की मौत मौके पर ही हो गयी, एक व्यक्ति की मौत दो दिन बाद इलाज के दौरान हुई. और एक आज भी हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है.
खुद आर्मी से सम्बन्ध रखने वाला यह परिवार पूरी तरह से बिखड़ गया है. तेज नारायण सिंह के एक बेटे राणा प्रताप सिंह जो बीएसएफ में सब इंस्पेक्टर के पोस्ट पर कार्यरत थे. ये होली से ठीक दो दिन पहले ही गाँव आए थे. इस नरसंहार में इनकी मौत हो गई. चार बेटी और दो बेटा को अनाथ कर दिया गया. इनको 5 गोली मारी गयी और धारदार हथियार से शरीर के अनेकों हिस्सों पर वार किया गया.
सुरेंद्र सिंह के तीन बेटों की हत्या कर दी गयी. जिसमें सबसे बड़े बेटे रणविजय सिंह जो पेशे से किसान थे और जिनका उम्र महज 38 साल था. उन्हें अपराधियों ने 10 गोली मारा था. और फिर निर्ममता के साथ धारदार हथियार से शरीर के विभिन्न हिस्सों पर वार किया गया था.
दूसरे बेटे जो महज 36 साल के थे. मृतक वीरेंद्र सिंह जो कि किसान ऑयर मछली करोबारी थे. उन्हें 9 गोली लगी और उनके ऊपर भी धारदार हथियार से हमला किया गया था.
तीसरे बेटे अमरेंद्र सिंह को दरिंदो ने 6 गोली मारा था. 32 साल उम्र है तीन साल पहले ही शादी हुई थी. इनके शरीर पर भी गोली मारने के बाद धारदार हथियार से हमला किया गया था.
महंत रुद्र नारायण दास पूजा पाठ किया करते थे. इनका उम्र 40 वर्ष था. इनको 4 गोली मारा गया था साथ ही इसके बाद धारदार हथियार से हमला भी किया गया था.
मनोज सिंह पेशे से शिक्षक है उम्र 40 वर्ष जो पारस अस्पताल में भर्ती थे. इन्हें दो गोली मारा गया था. स्थिति नाजुक है.
इस घटना का असर पूरे परिवार पर बुरी तरह पड़ा है. सब सदमे में है आँशु और चीत्कार थमने का नाम नहीं ले रहा है. वीरेंद्र सिंह के मौत का खबर सुन उनके ससुर को हार्ट अटैक आ गया और उनकी भी मृत्यु हो गयी. संजय सिंह का बेटा जिसने अमरेंद्र सिंह को मुखाग्नि दिया था उसका तबियत भी अचानक बिगड़ और उसे भी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. दर्द है की जाने का नाम नहीं ले रहा.
प्रशासन ने दिखाई होती चुस्ती तो नहीं होता इतना बड़ा कांड
घटना से लगभग एक घण्टा पहले इनलोगों में मामूली झड़प हुआ था. जिसकी सूचना मृतक अमरेंद्र सिंह द्वारा पहले ही नजदीकी थाने को दे दिया गया था. पर प्रशासन ने इसे हल्के में ले लिया. और उसके बाद प्रवीण झा, नवीन झा, शिवेशवर भारती, चन्दन झा, भोला सिंह, बबन सिंह दर्जनों लोगों के साथ दोपहर 1:00 बजे के करीब इस नरसंहार को अंजाम दे दिया. अगर पुलिस ससमय पहुँच गयी होती तो यह घटना हुआ ही नहीं होता.
झूठा एससी एसटी केस से हुई थी शुरुआत
17 नवम्बर 2020 को संजय सिंह अपने पोखर के पास गए थे. उनके पोखर में प्रवीण झा और उनके लोग जबरन मछली मार रहे थे. जिसे संजय सिंह ने रोकने का प्रयास किया तो उन्ही में से एक ने उनके पैर पर धारदार हथियार से हमला कर दिया जिसके वजह से संजय सिंह का पैर कट गया. इस घटना का शिकायत करने जब संजय सिंह बेनीपट्टी थाना पहुँचे तो दरोगा ने उनका इलाज कराने के लिए उन्हें मधुबनी अस्पताल में भेज दिया. इसका फायदा उठा कर तबतक प्रवीण झा ने अपने साथी शिवेश्वर भारती से झूठा एससी/एसटी के तहत संजय सिंह पर केस करवा दिया.
आरोप है की महेंद्र सिंह नामक पुलिस अधिकारी को इसके लिए 40 हजार रुपया घुस दिया गया. बेनीपट्टी थाना के पुलिस अधिकारी महेंद्र सिंह ने झूठे केस में संजय सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. संजय सिंह पिछले 5 महीने से जेल में है. तब से ही अपराधियों ने इनके परिवार को निशाना बना लिया था.
Showing real role of third pillar of democracy
जवाब देंहटाएं